तुमको पास बुलाती आंखें, ख्वाबों को दुलराती आंखें। तुमको पास बुलाती आंखें, ख्वाबों को दुलराती आंखें।
हरयाणवी कविता हरयाणवी कविता
हमने अपने भूत को भविष्य का कब्रिस्तान सजाते देखा है। हमने अपने भूत को भविष्य का कब्रिस्तान सजाते देखा है।
तुम्हारी आँखों में नमी जब भी देखता हूँ , हर बार खुद को व्याकुल पाता हूँ , क्यूं चहकार भी कह न पाता ह... तुम्हारी आँखों में नमी जब भी देखता हूँ , हर बार खुद को व्याकुल पाता हूँ , क्यूं ...
इन आँखो की अनदेखी का मजा ही कुछ अलग था, तुम्हारी आँखे नीचे, तो मेरी आसमां को निहार रही थी.... इन आँखो की अनदेखी का मजा ही कुछ अलग था, तुम्हारी आँखे नीचे, तो मेरी आसमां को निह...
बहुत कुछ कहना होता है दोनो को, पर कोई शब्द न होता दोनो के पास, बस आँखें ही बात करती है दोनो की...... बहुत कुछ कहना होता है दोनो को, पर कोई शब्द न होता दोनो के पास, बस आँखें ही बात क...